Natasha

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डार्क हॉर्स

संतोष ने अपनी चॉइस बताते हुए कहा। बातों से स्पष्ट था वह राजस्व सेवा में नहीं

जाना चाहता था। पाँच फीट छ: इंच अंडर शटिंग किए हुए खुद से सिलवाया हुआ सफेद पर फिरोजी चेक की शर्ट और काली पेंट पहने। बड़ा बकलस वाली बेल्ट बिना फ्रेम का

चश्मा लगाए और पैरों में सफेद मोज़े पर अपनी साइज से दो नंबर ज्यादा का लाल कलर का फ्लोटर पहने रायसाहब एकदम दो हजार सात मॉडल अरस्तु लग रहे थे। "चलिए रूम पर चलते हैं। " रायसाहब ने हाथ से इशारा करते हुए कहा।

"हाँ चलिए, देखें आपका महल।" संतोष ने भरे उत्साह से कहा।

"महल नहीं कुटिया कहिए तपस्या करना होता है।" रायसाहब ने मुस्कुराते हुए

कहा

"कहाँ रूम है आपका?" संतोष ने पूछा।

"बस यहीं पाँच मिनट में नेहरू बिहार में है। चलिए न पैदल ही पहुँच जाएंगे।" रायसाहब ने कदम बढाते हुए कहा।

"अच्छा, , ये सब इलाका मुखर्जी नगर में ही है ना?" संतोष ने पूछा। "हां, यहाँ सारी कोचिंग हैं और बस नाले के पास सटा हुआ है नेहरू बिहार सब एक ही एरिया है।

"

"नाले के पार?" संतोष ने नाक सिकोड़ते हुए कहा।

"घबराइए नहीं, उस पर पुल बना हुआ है। नाला तैर कर नहीं जाना है।" रायसाहब

ने कहा। दोनों ठहाका मार हँसने लगे। संतोष रायसाहब को वाकपटुता पर मोहित होने

लगा था। मन ही मन सोचा, 'ये होती है खास बात आदमी में, ऐसे नहीं मेंस दे दिया है

आईएएस का

संतोष बड़ा वाला बैग दोनों हाथों से पकड़े, छोटा वाला पीठ पर लटकाए रायसाहब के साथ चलने लगा। तैयारी करने के लिहाज से पाँच साल जूनियर होने के कारण उसने खुद से सीनियर रायसाहब को बैग पकड़ने के लिए देना उचित नहीं समझा। दूसरी तरफ पहले से ही कपार पर ज्ञान का बोझ उठाए रायसाहब ने अपनी तरफ से अतिरिक्त बोझ उठाना जरूरी नहीं समझा कुछ ही मिनट में दोनों नाला पार कर नेहरू बिहार के फ्लैट नंबर 394 के नीचे पहुंच गए। संतोष ने मकान देखते ही कहा, "महराज एकदम झकास है

रायसाहब, पूरा ले लिए है क्या?" रायसाहब ने मुस्कुराते हुए कहा, "अंदर तो आइए, ऊपर थर्ड फ्लोर पर है अपना इसमें चार फ्लोर है। आठ लड़का रहता है। सब फ्लोर पर पच्चीस गज का एक कमरा है।

"कितने का है रायसाहब कमरवा?" संतोष ने पूछा।

देखिएगा थोड़ा सीढ़ी पर सर बचाकर चढिएगा।" "चार हजार प्लस बिजली पानी है संतोष जी" रायसाहब ने आँखें तरेरकर बताया। ऊपर कमरे तक पहुँचते संतोष का दम फूल चुका था। इतना भारी बैग लेकर चढ़ना एवरेस्ट की बढ़ाई जैसा था। दमे के मरीज की तरह हॉफ रहा था बेचारा। रायसाहब ने ताला खोला और दरवाजे को अंदर की तरफ धकेला घुसते ही संतोष

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